गौरैया का पाठ: एकता और दृढ़ संकल्प

एक बार की बात है, एक शांत भारतीय गाँव में, मीना नाम की एक बुद्धिमान छोटी गौरैया रहती थी। वह बहुत समझदार थी और पूरे गाँव में अपनी दयालुता के लिए जानी जाती थी। छोटी चींटी से लेकर विशालकाय हाथी तक सभी जानवर मीना को बहुत प्यार करते थे।

दोपहर की धूप में मीना ने देखा कि गाँव वाले सब चिंतित दिख रहे हैं। वह गांव के बुजुर्ग रामू काका के पास गई और उनसे समस्या के बारे में पूछा। उदास चेहरे के साथ रामू काका ने बताया कि उनके गांव में भयंकर सूखा पड़ने वाला है।

इस खबर ने जानवरों सहित सभी को चिंतित कर दिया। वे पानी खोजने और कठोर परिस्थितियों में जीवित रहने के बारे में चिंतित थे। हालांकि, मीना ने फैसला किया कि वह हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठेगी और ऐसा होने नहीं देगी। उसने बहुत सोचा और अंत में एक विचार आया।

मीना ने ग्रामीणों को प्रस्ताव दिया कि वे पानी के भंडारण के लिए एक बड़ा कुआं बनवाएं। मीना की इस बात पर गांव वाले हंस पड़े और उसका मजाक उड़ाया। “एक छोटी गौरैया एक बड़ा कुआँ बना रही है?” उन्होंने उपहास किया। लेकिन मीना उनकी बातों से टस से मस नहीं हुई। वह उन्हें गलत साबित करने के लिए दृढ़ थी।

मीना ने अपनी योजना पर काम करना शुरू कर दिया। उसने अपनी छोटी चोंच से नदी के किनारे एक छोटा सा गड्ढा खोदना शुरू किया। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, छोटा सा छेद बड़ा और गहरा होने लगा। गाँव के दूसरे जानवरों ने मीना की मेहनत को देखा और प्रेरित महसूस किया।

बड़े से बड़े हाथी और छोटी से छोटी चींटी ने भी मीना की सहायता करने का निश्चय किया। उन्होंने खुदाई प्रक्रिया में सहायता के लिए अपनी ताकत और संसाधनों का इस्तेमाल किया। हाथियों ने अपनी शक्तिशाली सूंड का इस्तेमाल किया और चींटियाँ छोटे-छोटे कंकड़ उठा ले गईं। यहां तक कि धीमे कछुए ने भी अपने मजबूत खोल का उपयोग करके जमीन को समतल करने में मदद की।

जानवरों की मेहनत और एकता को देखकर गांव वालों को अपराध बोध हुआ। उन्हें मीना को कम आंकने की अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने प्रयास में शामिल होने का फैसला किया। उन सभी ने मिलकर अथक परिश्रम किया और सूखे से ठीक पहले एक बड़ा कुआँ बनाने में सफल रहे।

मीना की सूझबूझ भरी योजना और सभी के संयुक्त प्रयासों से उनके गांव को भीषण सूखे से बचा लिया गया। उन्होंने मीना को उनकी बुद्धिमत्ता और दृढ़ संकल्प के लिए धन्यवाद दिया। उस दिन के बाद से गांव में किसी ने भी एकता की शक्ति और छोटे से छोटे जीव की क्षमता को कभी कम नहीं आंका।

मीना नाम की इस विनम्र गौरैया ने ग्रामीणों को विनम्रता, कड़ी मेहनत और एकता की ताकत के बारे में एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया।

This Hindi Moral Story Says That:

इस कहानी से सीख मिलती है, “कभी भी किसी को उसके आकार के आधार पर कम मत समझो, और याद रखो कि एकता ही ताकत है।” यह कहानी हम सभी को याद दिलाती है कि प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, जब वह दृढ़ संकल्पित हो और दूसरों के साथ एकजुट हो तो बड़ा बदलाव ला सकता है।

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